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फूल गोभी की खेती

मई-जून में करें फूलगोभी की खेती मिलेगा शानदार मुनाफा

मई-जून में करें फूलगोभी की खेती मिलेगा शानदार मुनाफा

गोभी वर्गीय सब्जियों में फूलगोभी का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है। इसकी खेती विशेष तोर पर श्वेत, अविकसित व गठे हुए पुष्प पुंज की पैदावार के लिए की जाती है। 

इसका इस्तेमाल सलाद, बिरियानी, पकौडा, सब्जी, सूप और अचार इत्यादि निर्मित करने में किया जाता है। साथ ही, यह पाचन शक्ति को बढ़ाने में बेहद फायदेमंद है। यह प्रोटीन, कैल्शियम और विटामिन ‘ए’ तथा ‘सी’ का भी बेहतरीन माध्यम है।

फूलगोभी की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु

फूलगोभी की सफल खेती के लिए ठंडी और आर्द्र जलवायु सबसे अच्छी होती है। दरअसल, अधिक ठंड और पाला का प्रकोप होने से फूलों को काफी ज्यादा नुकसान होता है। 

शाकीय वृद्धि के दौरान तापमान अनुकूल से कम रहने पर फूलों का आकार छोटा हो जाता है। एक शानदार फसल के लिए 15-20 डिग्री तापमान सबसे अच्छा होता है।

फूलगोभी की प्रमुख उन्नत प्रजातियां 

फूलगोभी को उगाए जाने के आधार पर फूलगोभी को विभिन्न वर्गो में विभाजित किया गया है। इसकी स्थानीय तथा उन्नत दोनों तरह की किस्में उगाई जाती हैं। इन किस्मों पर तापमान और प्रकाश समयावधि का बड़ा असर पड़ता है। 

अत: इसकी उत्तम किस्मों का चयन और उपयुक्त समय पर बुआई करना बेहद जरूरी है। अगर अगेती किस्म को विलंब से और पिछेती किस्म को शीघ्र उगाया जाता है तो दोनों में शाकीय वृद्धि ज्यादा हो जाती है। 

नतीजतन, फूल छोटा हो जाता है और फूल देरी से लगते हैं। इस आधार पर फूलगोभी को तीन हिस्सों में विभाजित किया गया है – पहला –अगेती, दूसरा-मध्यम एवं तीसरा-पिछेती।

  • फूल गोभी की अगेती किस्में: अर्ली कुंआरी, पूसा कतिकी, पूसा दीपाली, समर किंग, पावस, इम्प्रूब्ड जापानी।
  • फूल गोभी की मध्यम किस्में: पंत सुभ्रा,पूसा सुभ्रा, पूसा सिन्थेटिक, पूसा स्नोबाल, के.-1, पूसा अगहनी, सैगनी, हिसार नं.-1 ।
  • फूल गोभी की पिछेती किस्में: पूसा स्नोबाल-1, पूसा स्नोबाल-2, स्नोबाल-16 ।

फूलगोभी के लिए जमीन की तैयारी

फूलगोभी की खेती ऐसे तो हर तरह की जमीन में की जा सकती। लेकिन, एक बेहतर जल निकासी वाली दोमट या बलुई दोमट जमीन जिसमें जीवांश की भरपूर मात्रा उपलब्ध हो, इसके लिए बेहद उपयुक्त मानी जाती है। 

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इसकी खेती के लिए बेहतर ढ़ंग से खेत को तैयार करना चाहिए। इसके लिए खेत को ३-४ जुताई करके पाटा मारकर एकसार कर लेना चाहिए।

फूलगोभी की खेती में खाद एवं उर्वरक

फूलगोभी की उत्तम पैदावार हांसिल करने के लिए खेत के अंदर पर्याप्त मात्रा में जीवांश का होना बेहद अनिवार्य है। खेत में 20-25 टन सड़ी हुई गोबर की खाद या कम्पोस्ट रोपाई के 3-4 सप्ताह पहले बेहतर ढ़ंग से मिला देनी चाहिए। 

इसके अतिरिक्त 120 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस एवं 40 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से देनी चाहिए। 

नाइट्रोजन की एक तिहाई मात्रा एवं फास्फोरस तथा पोटाश की पूरी मात्रा आखिरी जुताई या प्रतिरोपण से पूर्व खेत में अच्छी तरह मिला देनी चाहिए। वहीं, शेष आधी नाइट्रोजन की मात्रा को दो बराबर भागों में बांटकर खड़ी फसल में 30 और 45 दिन बाद उपरिवेशन के तोर पर देना चाहिए।

फूलगोभी की खेती में बीजदर, बुवाई और विधि 

फूलगोभी की अगेती किस्मों का बीज डॉ 600-700 ग्राम और मध्यम एवं पिछेती किस्मों का बीज दर 350-400 ग्राम प्रति हेक्टेयर है। 

फूलगोभी की अगेती किस्मों की बुवाई अगस्त के अंतिम सप्ताह से 15 सितंबर तक कर देनी चाहिए। वहीं, मध्यम और पिछेती प्रजातियों की बुवाई सितंबर के बीच से पूरे अक्टूबर तक कर देनी चाहिए।

फूलगोभी के बीज सीधे खेत में नहीं बोये जाते हैं। अत: बीज को पहले पौधशाला में बुआई करके पौधा तैयार किया जाता है। एक हेक्टेयर क्षेत्र में प्रतिरोपण के लिए लगभग 75-100 वर्ग मीटर में पौध उगाना पर्याप्त होता है। 

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पौधों को खेत में प्रतिरोपण करने के पहले एक ग्राम स्टेप्टोसाइक्लिन का 8 लीटर पानी में घोलकर 30 मिनट तक डुबाकर उपचारित कर लें। उपचारित पौधे की खेत में लगाना चाहिए।

अगेती फूलगोभी के पौधों कि वृद्धि अधिक नहीं होती है। अत: इसका रोपण कतार से कतार 40 सेंमी. पौधे से पौधे 30 सेंमी. की दूरी पर करना चाहिए। 

परंतु, मध्यम एवं पिछेती किस्मों में कतार से कतार की दूरी 45-60 सेंमी. और पौधे से पौधे की दूरी 45 सेंमी. तक रखनी चाहिए।

फूलगोभी की खेती में सिंचाई प्रबंधन 

पौधों की अच्छी बढ़ोतरी के लिए मृदा में पर्याप्त मात्रा में नमी का होना बेहद जरूरी है। सितंबर माह के पश्चात 10 या 15 दिनों के अंतराल पर जरूरत के अनुरूप सिंचाई करते रहना चाहिए। ग्रीष्म ऋतु में 5 से 7 दिनों के अंतर पर सिंचाई करते रहना चाहिए।

फूलगोभी की खेती में खरपतवार नियंत्रण

फूलगोभी में फूल तैयार होने तक दो-तीन निकाई-गुड़ाई से खरपतवार का नियन्त्रण हो जाती है, परन्तु व्यवसाय के रूप में खेती के लिए खरपतवारनाशी दवा स्टाम्प 3.0 लीटर को 1000 लीटर पानी में घोल कर प्रति हेक्टेयर का छिड़काव रोपण के पहले काफी लाभदायक होता है।

फूलगोभी की खेती में निराई-गुड़ाई और मृदा चढ़ाना

पौधों कि जड़ों के समुचित विकास हेतु निकाई-गुड़ाई अत्यंत आवश्यक है। एस क्रिया से जड़ों के आस-पास कि मिटटी ढीली हो जाती है और हवा का आवागमन अच्छी तरह से होता है जिसका अनुकूल प्रभाव उपज पर पड़ता है। वर्षा ऋतु में यदि जड़ों के पास से मिटटी हट गयी हो तो चारों तरफ से पौधों में मिटटी चढ़ा देना चाहिए।

बिहार में कृषि वैज्ञानिकों ने गर्मी में भी उगने वाली गोभी की किस्म-6099 को विकसित किया

बिहार में कृषि वैज्ञानिकों ने गर्मी में भी उगने वाली गोभी की किस्म-6099 को विकसित किया

बिहार राज्य के नालंदा जनपद में किसानों ने 200 एकड़ में फूल गोभी की खेती चालू की है। विशेष बात यह है, कि नालंदा जनपद के किसान फूल गोभी की प्रजाति-6099 की खेती कर रहे हैं। फूल गोभी का सेवन हर किसी को पसंद है। 

सर्दी के मौसम में प्रमुख सब्जी फूल गोभी ही होती है। ऐसे लोग फूल गोभी से बनी भुजिया भी खाना काफी पसंद करते हैं। फूल गोभी के अंदर प्रोटीन, फॉस्फोरस, मैगनीज, पोटैशियम, फोलेट, विटामिन बी, विटामिन सी, विटामिन के और फाइबर जैसे तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। 

इसका सेवन करने से कई सारे शारीरिक लाभ होते हैं। आमतौर पर सर्दी के मौसम में फूल गोभी बड़ी ही सहजता से मिल जाती है। परंतु, ग्रीष्मकाल में यह बाजार से गायब हो जाती है, क्योंकि गर्मी में इसका उत्पादन नहीं होता है। हालाँकि, अब से आपकों वर्षभर फूल गोभी खाने के लिए उपलब्ध मिलेगी।

कितने रकबे में गोभी की खेती शुरू हुई है

मीडिया एजेंसियों के अनुसार, बिहार के नालंदा जनपद में किसानों ने 200 एकड़ में फूल गोभी की खेती चालू की है। विशेष बात यह है, कि नालंदा जनपद के किसान फूल गोभी की प्रजाति-6099 की खेती कर रहे हैं। 

उद्यान महाविद्यालय के प्राचार्य डा. पंचम कुमार सिंह का कहना है, कि पहले यहां किसान केवल सर्दी के मौसम में ही फूल गोभी की खेती किया करते थे। जुलाई माह में इसकी नर्सरी तैयार की जाती थी। 

गस्त महीने में पौधों की रोपाई का कार्य होता है, जिसके पश्चात अक्टूबर माह से बाजार में फूल गोभी आनी चालू हो जाती थी। परंतु, अब कृषि वैज्ञानिकों ने फूल गोभी की किस्म-6099 को विकसित किया है। अब ऐसी स्थिति में किसान वर्षभर फूल गोभी की खेती कर सकते हैं।

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विगत वर्ष किस्म-6099 की खेती परीक्षण के तौर पर की गई थी

आजकल बदलते दौर में कृषि वैज्ञानिकों की निरंतर कोशिशों और शोधों के चलते नई-नई किस्में विकसित की जा रही हैं। बतादें कि गोभी की किस्म-6099 की विगत वर्ष परिक्षण के तौर पर खेती शुरू की थी, जिसका नतीजा भी सकारात्मक देखने को मिला है। 

इस वजह से किसानों ने इस वर्ष पहली बार ग्रीष्मकाल में गोभी की किस्म-6099 की खेती शुरू की है। बतादें, कि बबुरबन्ना, सोहडीह एवं आशानगर में तकरीबन 200 एकड़ भूमि पर किसानों ने गरमा फूलगोभी की खेती शुरू की है।

इसी कड़ी में किसानों का कहना है, कि गरमा फूल गोभी की खेती के लिए फसलचक्र भी तैयार कर लिया है। फरवरी माह में नर्सरी तैयार की जानी है, जिसकी पैदावार मई माह तक मिल पाएगी। 

साथ ही, दूसरी नर्सरी जून माह में तैयार की जाएगी, जिसकी पैदावार अक्टूबर माह तक मिल पाएगी। ऐसे में सीधी सी बात है खेती का क्षेत्रफल निश्चित तौर पर बढ़ेगा।

फूल गोभी की खेती करने हेतु जरुरी बात

केंद्र एवं राज्य सरकारें अपने-अपने स्तर किसानों के हित में नई नई योजनाएं जारी करती रहती हैं। बागवानी फसलों को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार एवं कृषि विभाग पूरी तन्मयता से जुटे हुए हैं। 

बागवानी के क्षेत्र में किसानों के लिए गोभी की नई किस्म-6099 विकसित की गई है। यदि किसान भाई खरीफ सीजन में फूल गोभी का उत्पादन करना चाहते हैं, तो उनको बेहद ही सावधानियां बरतने की जरुरत पड़ेगी। 

बतादें, कि इस गोभी की किस्म में दो से तीन दिन के अंतराल पर फसल की सिंचाई करनी होगी। साथ ही, रासायनिक खाद के स्थान पर जैविक खाद का इस्तेमाल करें। 

यूरिया खाद का उपयोग बिल्कुल भी ना करें। साथ ही, पौधरोपण से पूर्व प्रति चार कट्ठे में एक ट्रॉली गोबर डाल दें। इसके पश्चात खेत की जोताई करें।